Sunday, June 12, 2011

ये यादों का मौसम है जो आता है जाता है,
पलकों पर ख़वाब बनतें हैं सवरतें हैं,
आशाओं के बादल मन में घुमढतें हैं,
तुम कौन हो ?कहाँ से आये हो?
 मन यह सवाल करता है,
हकीकत में क्या तुम कुछ पैगाम लेकर आये हो?
या  यूँ ह़ी हमें परेशां  करने आये हो,

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