Akanksha Shukla
Saturday, August 27, 2011
यह कैसे खवाब तुम इन पलकों पे देकर चले गए|
यह कैसे खवाब तुम इन पलकों पे देकर चले गए|
कितने अजीब ज़िन्दगी के ये रास्ते हैं
कितनी खामोश ये राहें हैं
यूँ चुपचाप हम चल तो दिए
पर तुम तक पहुचनेमें कितनी रातें अभी बाकी है..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment