Wednesday, October 19, 2011

ओ राही! लक्ष्य न ओझल होने पाये।

ओ राही! लक्ष्य न ओझल होने पाये।

  चाहे फिर तू चट्टानों से टकराये।


समन्दर में लहरें आयें या मौसम परिवर्तित हो जाये।


ओ राही! लक्ष्य न ओझल होने पाये।


चाहे कितनी अधेरी रात हो या फिर दरिया में तूफान हो।


न डरना ,न डगमगाना,न होना निराश तुम।


रखना मजबूत इरादे तुम।


ओ राही! लक्ष्य न ओझल होने पाये।


घना रेगिस्तान हो या बंजर भूमि का मैदान हो।


घनी गहरी धूप हो या बिन बादल बरसात हो।


ओ राही! लक्ष्य न ओझल होने पाये। 

Monday, September 12, 2011

क्या कहू,

क्या कहू,
      किससे कहू ,
             कैसे बयान करू ,
                     यह सच है,
                          तुमसे दूर जाकर हि समझ आया,
                               तुम्हारे पास रहने का मतलब ,

यह सच है ,कि तुम बहुत दूर चाले गये हो,
जैसे चांद आसमान में ,जैसे तारे आसमान में ,

        फिर दिल ने यही कहा ,
                                     कुछ ख्वाब थे जो अधूरे रह गए ..



                                           कुछ बातें थी जो अनकही रह गयीं ..


                                                     कुछ यादें थी जो झिलमिल -सी हो गयी ..


Wednesday, August 31, 2011

यह सपना मुझे हकीकत से भी प्यारा है,

     यह सच है कि मैं तुमसे और तुम्हारी जिन्दगी से जुडीं हूं।
     जज्बात तो हैं पर तुमसे बयां करना  नहीं आता,
     तुम गैर नहीं पर फिर भी तुमसे कहना नहीं आता,
     हां तुम जिन्दगी की हकीकत हो,
     पर ये भी तुमसे कहना नहीं आता।
     एक सपना जो मैनें देखा मेरे और तुम्हारे लिए,
     उस सपने की महक मेरी जिन्दगी में है,
     ख्वाब ओर ह्कीकत का अंतर तो पता नहीं,
     हां ,ये सच है कि यह सपना मुझे हकीकत से भी प्यारा है,
     तुमसे कुछ ना कह्ने का कारण बस इतना ही है,
     तुमसे दूर जाने से डर लगता है,
     तुम्हारे इंकार से डर लगता है,
     तुम्हारी बेरूखी से डर लगता है,
     हां ,ये सच है कि यह सपना मुझे हकीकत से भी प्यारा है,




Saturday, August 27, 2011

यह कैसे खवाब तुम इन पलकों पे देकर चले गए|

यह कैसे खवाब  तुम इन पलकों पे देकर  चले गए|

कितने अजीब ज़िन्दगी के ये रास्ते हैं  
कितनी खामोश ये राहें हैं
यूँ चुपचाप हम चल तो दिए
 पर तुम तक  पहुचनेमें  कितनी रातें  अभी बाकी है..

Sunday, June 12, 2011

ये यादों का मौसम है जो आता है जाता है,
पलकों पर ख़वाब बनतें हैं सवरतें हैं,
आशाओं के बादल मन में घुमढतें हैं,
तुम कौन हो ?कहाँ से आये हो?
 मन यह सवाल करता है,
हकीकत में क्या तुम कुछ पैगाम लेकर आये हो?
या  यूँ ह़ी हमें परेशां  करने आये हो,

Saturday, March 26, 2011

कुछ बातें थी जो अनकही रह गयीं

                                     कुछ ख्वाब थे जो अधूरे रह गए ..
                                  कुछ बातें थी जो अनकही  रह गयीं ..
                                कुछ यादें थी जो झिलमिल -सी हो गयी ..
                                  जिंदगी फिर से नए मोड़ पर ले आयी..
                                  भूलना चाहती थी पर भूल नहीं पायी..
                     कुछ ज़िन्दगी के फसाने थे जो अफसाने बन कर रह गये..
                                     किस्से तो बहुत से थे तुम्हे सुनाने को ..
                                    दुआ तो की थी तुमसे मिलने की हमने ..
                          पर ज़िन्दगी ने एक झलक  भी तुम्हारी न दिखलायी                              
                         कुछ आँसूं थे जो आँखों से पानी बनकर बह गये               
                  कुछ जज्बात थे जो कागज़ के पन्नों पर कहानी बनकर रह गये ..
                      कुछ उम्मीदें थी जो सिर्फ ख्याल बन कर रह गये 
                                  कुछ ख्वाब थे जो अधूरे रह गए 
                                  कुछ बातें थी जो अनकही  रह गयीं ..
                             कुछ यादें थी जो झिलमिल -सी हो गयी..

एक इम्तिहान

क्या लेकर आये हैं, क्या लेकर जायेगें
बस अपने कदमों के निशान छोड़ जायेगें
मंजिल करीब हैं और रास्ता है मुश्किल..
काटों से दामन बचाकर निकल जायेगें ..

ऐसा लगता है परियों के देश आये हैं

ऐसा लगता है परियों के देश आये हैं
महसूस करके देखा साथी कोई पुराना साथ है..
भीड़ अनजानी है पर पास यादों की लड़ी है..
एक पल के लिए लगा सपना तो नहीं ...
दूसरे पल ये जाना की यह हकीकत है....
हकीकत तो है पर बस पल भर के लिए ..
याद है पुरानी दास्ताँ ,जब हम सब थे साथ साथ ..
वादा किया था हमने अपने- आप से
लौटे कर आयेगें हम ,आप से कुछ बातें कहने ...
कुछ पल ,कुछ यादें समेट कर हम चल दिए थे ...
जिंदगी के नए सफ़र पर ...भविष्य -निर्माण पर ...
वादा किया था मिलेंगे आने वाले पल में ..
कल वह वादा याद आया ,जब हमने देखा था पीछे मुड़ कर ,
यह कहकर ,"जाने वाले को अगर मुड़कर देखो तो ज़िन्दगी में दुबारा मुलाकात जरुर होती है "